Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गाँधी की 76वीं पुण्यतिथि, प्रधानमंत्री सहित सभी ने दिया श्रद्धांजलि: 30 जनवरी यानी आज, महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि है। महात्मा गांधी जिन्हें हम प्यार से “बापू” कहते हैं। बापू भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके विचारधारा आज भी हमारे जहन में जिंदा है। गांधी जी का स्वच्छता का मंत्र आज जन-जन तक पहुंच चुका है। गांधी जी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत वर्ष हमेशा उनके इस बलिदान को याद रखेगा। हम कह सकते हैं, कि यह दिन शहीद दिवस का भी प्रतीक है।
यह उन सभी शहीदों को याद करने और सम्मान देने का दिन है, जिन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। महात्मा गांधी की हत्या की गई थी। उनकी हत्या शाम 5:17.30 बजे 30 जनवरी को हुई थी। उनकी पुण्यतिथि हर वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है। पूरा देश गांधी जी के इस बलिदान की याद में और उन्हें सम्मान देने के लिए उन्हें आज याद करता है। हर साल 30 जनवरी का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाने के साथ-साथ इस दिन उन सभी शहीदों को भी याद करते है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। गांधी जी ने पूरे भारत को शांति, अहिंसा और सद्भाव का रास्ता दिखाया है।
नाथूराम गोडसे ने की हत्या:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिरला हाउस, जिसे अब गांधी स्मृति संग्रहालय कहा जाता है, मे प्रार्थना के लिए जाते हुए महात्मा गांधी को शाम में गोली मार दी थी। महात्मा गांधी उस समय 78 वर्ष के थे। इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे के साथ आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि नाथूराम ने तीन गोलियां मार कर उनकी हत्या की।
हत्या का कारण:
नाथूराम गोडसे का मानना था, कि महात्मा गांधी देश के विभाजन के समय मुसलमान का पक्ष लिए। नाथूराम विनायक गोडसे हिंदी अखबार “हिंदू राष्ट्र” का संपादक थे। उन्होंने गांधी जी की हत्या केवल राजनीतिक वजह से की, क्योंकि उनका ना गांधी से कोई व्यक्तिगत रंजीत और ना ही दुश्मनी थी।
नाथूराम खुद एक हिंदू राष्ट्रवादी थे, जो मानते थे, कि गांधी ने भारत के विभाजन के दौरान भारत के मुसलमान की राजनीतिक मांगों का साथ दिया है। देश में विभाजन होने का उन्हीं का हाथ है। तो नाथूराम ने नारायण आपते और छह अन्य लोगों के साथ हत्या की साजिश रची थी।1 साल तक चले मुकदमे के बाद कोर्ट से उनको 8 नवंबर 1949 को मौत की सजा सुनाई दी गई थी।
पुण्यतिथि मे दी गई श्रद्धांजलि:
30 जनवरी, शहीद दिवस पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनन के प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सेवा के जवान भी इस अवसर पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने हथियार झुकते हैं। सभी महामान्य व्यक्ति भी गांधी जी को श्रद्धांजलि देते हैं। साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके बहादुर योगदान को याद करते हैं। स्कूल कॉलेज तथा दूसरे संस्थानों में महात्मा गांधी से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम, भाषण का आयोजन होता है।